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हहन्दी भाषा की गुर्ित्ता और महत्ता पर अनेक मनीवषयों ने बहत
ु
मलखा है। सत्य यह है कक हहन्दी हहन्दुथतान की पहचान है। इसमें रचा साहहत्य
विलक्षर् और कालजयी है। इस भाषा में उत्तम ग्रन्िों के रचने की अद्भत
ु
क्षमता है। आचायत हजारीप्रसाद द्वििेदी मलखते हैं कक - ‘‘भारतिषत की राजभाषा
चाहे जो हो और जैसी भी हो, पर इतना तनस्श्चत है कक भारतिषत की के न्रीय
भाषा हहन्दी है। लगभग आिा भारतिषत उसे अपनी साहहस्त्यक भाषा मानता है,
साहहस्त्यक भाषा अिातत् उसके हृदय और मस्थतष्क की भूख ममटाने िाली,
करोडों की आशा-अकांक्षा, अनुराग-विराग, रुदन-हाथय की भाषा। उसमें साहहत्य
मलखने का अित है करोडों के मानमसक थतर को ऊाँ चा करना, करोडों मनुष्यों को
मनुष्य के सुख-दुख के प्रतत संिेदनशील बनाना, करोडों की अज्ञान, मोह और
क ु संथकार से मुक्त कराना।’’6
हहन्दी भारत की आत्मा है। हहन्दी भारत की िार्ी है। हहन्दी भारत को
एक सांथक ृ ततक सूत्र में बााँि कर रखने की अपूित क्षमता से भरी है। सस्च्चदानंद,
हीरानंद िात्थयायन ने ठीक ही कहा है कक-‘‘मैं मानता हाँ कक भारत की
ू
आिुतनक भाषाओं में हहन्दी ही सच्चे अित में सदैि भारतीय भाषा रही है,
क्योंकक िह तनरन्तर भारत की एक समग्र चेतना को िार्ी देने का चेतन प्रयास
करती रही है और सभी भाषाओं में प्रदेश बोला है, कई बार बडे प्रभािशाली ढंग
से बोला है, हहन्दी में आरम्भ से ही देश बोलता रहा है, भले ही कभी-कभी
कमजोर थिर में भी बोला है।’’7
भारतीय थितंत्रता संग्राम में हहन्दी के योगदान को विथमृत नहीं ककया
सकता है।
प्रख्यात थितंत्रता संग्राम सेनानी ‘‘नेताजी’’ के सम्मान से सम्मातनत सुभाषचन्र
बोस का कहना िा कक-‘हहन्दी के विरोि का कोई भी आन्दोलन राष्र की प्रगतत
में बािक है।’ हहन्दी की शब्द सम्पदा तनराली है स्जसमें विविि भािों के बोिक
शब्दों का अक ू त भण्डार है। हहन्दी की भाि-सम्पदा की भव्यता पर रीझकर
गुरुदेि रिीन्रनाि ठाक ु र ने मलखा है कक-‘‘प्राचीन हहन्दी कवियों के ऐसे-ऐसे गीत
मैंने सुने हैं कक सुनते ही मुझे ऐसा लगा है कक िे आिुतनक युग के हैं। इसका
कारर् यह है कक जो कविता सत्य है, िह धचरकाल ही आिुतनक है। मैं तुरन्त
समझ गया कक स्जस हहन्दी-भाषा के खेत में भािों की ऐसी सुनहरी र्सल र्ली