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चलाया । करीब 25-30 साल जी.टी.रोड पर, कर्र कलकत्ते में उन्होंने रांसपोटत


               का काम शुऱू ककया । िोडे हालात ठीक हए तो हमलोगों को उन्होंने िहां बुला
                                                                ु
               मलया । मेरी पढाई तीन साल तक लखनऊ में मेरी दादी की एक छोटी बहन के

               यहां हई िी । सेंट जॉन्स से हाईथक ू ल, बाकक कर्र 1968 में हम कलकत्ता चले
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               गये । इस तरह हालात ने हमें प्रेरर्ा दी ।


               प्रश्नः- आपका पाररिाररक कायत तो व्यापार का रहा है?



               उत्तरः- जी, जब हम कलकत्ता आ गये, 1968 से 2002 तक तो हम िहीं िे

               मुस्थतकल  ।  आजकल  ज्यादातर  लखनऊ  रहना  होता  है  लेककन  मेरा  पोथटल


               एड्रेस आज भी कोलकाता ही है । इसमलए कक हमारा जो कारोबार रांसपोटत का है

               उसका बेस ऑकर्स कोलकाता है । आसानी से ऐड्रेस चेंज ककया नहीं जा सकता

               है तो मेरी पढाई-मलखाई भी िहीं हई । िहीं हमने कॉमसत से ग्रेजुएशन ककया,
                                                        ु

               हालांकक हम आटतस लाइन के  आदमी िे , मेरे िामलद को शायद ककसी ने बता

               हदया कक लडका बहत बडा त्रबजनेसमैन बन जाएगा । लेककन हआ ऐसा क ु छ
                                       ु
                                                                                          ु
               नहीं । बारहिें खखलाडी की तरह मैं नाउम्मीद ही रह गया । कहीं मेरा नंबर नहीं


               आया । मुझे शौक िा कक कहीं मैं प्रोर्े सर हो जाऊं  या कहीं िकील हो जाऊं ,

               िकील बनने का शौक िा, बडा िकील बन जाऊं  । टीधचंग लाइन का शौक िा


               या िकालत का शौक िा तो िो सब सपना पूरा नहीं हआ । कर्र उन्हीं हदनों
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               बंगाल में नक्समलज्म का दौर िा मैं उसमें उठने-बैठने लगा तो घर से तनकाल


               हदया गया । डेढ साल  मैं इिर-उिर रक पर घूमता रहा । घर में घुसने की

               इजाजत नहीं िी क्योंकक पुमलस का ये ऑडतर हो गया िा कक देखते ही गोली

               मार दी जाए । बहरहाल मजे की बात ये है कक पुमलस ररकॉडत में आज तक


               हमारा नाम तो है ही । अच्छे काम के  ररकॉडत नहीं रखे जाते हैं लेककन हमारी

               हक ू मतें  बुरे  काम  के   ररकॉडत  रखती  है  ।  कोलकाता  एक  इंकलाबी  शहर  है  ।
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               कोलकाता एक सोचता हआ शहर है । ककसी अंग्रेज ने मलखा िा कक आज जो
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               कोलकाता सोच रहा है कल सारा हहंदुथतान सोचेगा । िहां कक जब सोच हमारी

               रायबरेली की  सोच में  ममली  क्योंकक  ये भी  राम-बेनीमािि का  शहर  िा, बडा
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