Page 6 - rb156-28feb
P. 6
प्रश्नः- उच्चतम न्यायालय की भाषा अंग्रेजी है । चार उच्च न्यायालयों
को छोडकर शेष उच्च न्यायालयों की भाषा भी अंग्रेजी ही है । इन
न्यायालयों की भाषा हहंदी एिं क्षेत्रीय भाषाएं ककए जाने के विषय में
अपनी तनजी राय क्या है?
उत्तरः- भाषा के प्रयोग की थितंत्रता हम सभी को है । मेरी तनजी राय है
कक हहंदी एिं क्षेत्रीय भाषाओं को न्यायालयों के भाषा के ऱूप में प्रयोग
करने का प्रयास न्याय व्यिथिा से जुडे सभी घटकों के द्िारा ककया
जाना चाहहए । सरकार द्िारा ककसी भी भाषा के प्रयोग को िोपने का
प्रयास नहीं होना चाहहए ।
प्रश्नः- हहंदी में कं टेंट (ज्ञान-विज्ञान सामग्री) की कार्ी कमी है, इसे दूर
करने हेतु ककस प्रकार के प्रयास अपेक्षक्षत है?
उत्तरः- भारत सरकार के द्िारा हहंदी एिं अन्य भाषाओं में कानूनों का
ऱूपानंतरर् तनयममत ऱूप से ककया जाता है और इसके प्रतत जनता के
प्रयोग के मलए िेबसाइट पर भी रखी जाती है । लेककन सरकारी प्रयास के
अलािा विमभन्न शोि संथिानों, मशक्षर् संथिानों और न्यायपामलका या
न्याय व्यिथिा से जुडे सभी लोगों को हहंदी में न्याय व्यिथिा से जुडी
सामग्री को मलखने एिं प्रकामशत करने की आिश्यकता है ।
प्रश्नः- सूचना प्रौद्योधगकी की भाषा हहंदी हो, इसके मलए ककस प्रकार के
प्रयासों की आिश्यकता है?
उत्तरः- सूचना प्रौद्योधगकी के विकास में भाषा ने बहत योगदान हदया है
ु
। आज ऐसे उपकरर् उपलब्ि है स्जनसे विमभन्न भाषाओं में अनुिाद
करना सरल हो गया है । गूगल, र्े सबुक, थमाटतर्ोन आहद सभी
महत्िपूर्त जन उपयोगी सुवििाएं विमभन्न भाषाओं में भी उपलब्ि हैं
सूचना प्रौद्योधगकी विभाग ने भी भारतीय भाषाओं के विकास के मलए
कडे प्रयास ककए हैं ।