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में परेशानी का तो कोई सिाल ही नहीं होता है । भौततक हहंदी में काम

                       करना मुझे अच्छा लगता है ।



                       प्रश्नः- अपने लंबे कायतकाल के  दौरान विमभन्न पदों पर रहते हए भाषा के
                                                                                              ु
                       महत्ि पर क्या कहना चाहेंगे?



                       उत्तरः-  भाषा  संिाद  का  सबसे  प्रमुख  माध्यम  होता  है  ।  अपने  लंबे

                       साितजतनक और राजनीततक जीिन में मैंने देश के  सभी राज्यों का दौरा

                       ककया  है  और  कई  राज्यों  की  राजनीततक  स्जम्मेदाररयां  भी  तनभाई  है  ।
                       एक विवििता से भरे हए देश में भाषा की विवििता भी भारत की एक
                                                  ु

                       विशेषता है ।
                       प्रश्नः- न्याय व्यिथिा में भाषा का महत्ि ककतना है तिा हहंदी भाषा में

                       न्याय पामलका का अधिकतम कायत कै से सुतनस्श्चत ककया जा सकता है?



                       उत्तरः- न्याय व्यिथिा को जनता के  मलए सरल, सुगम एिं कायत क ु शल

                       बनाना नरेन्र मोदी सरकार की बडी प्रािममकता है । इसके  मलए न्याय

                       व्यिथिा  जनता  की  भाषा  में  भी  उपलब्ि  हो  सके   ऐसा  प्रयास  करना

                       जऱूरी  है  ।  विभागीय  प्रयासों  के   अलािा  न्याय  व्यिथिा  से  जुडे  अन्य

                       सभी  घटक  भी  इस  हदशा  में  ममलकर  प्रयास  करें  तो  हहंदी  भाषा  में

                       न्यायपामलका के  काम को बढािा हदया जा सकता है ।



                       प्रश्नः- न्यायालयों में ज्यादातर बहस हहंदी तिा क्षेत्रीय भाषाओं में होती है

                       पर  तनर्तय  अंग्रेजी  में  हदए  जाते  हैं  क्या  इस  हदशा  में  ककसी  प्रकार  के

                       बदलाि की आिश्यकता महसूस करते हैं?



                       उत्तरः- न्यायपामलका में अंग्रेजी का प्रयोग एक विरासत का प्रश्न है ।
                       समय के  साि हहंदी भाषा में सभी कानूनों का ऱूपानंतरर् और हहंदी भाषा


                       में कानून की मशक्षा को बढािा हदया जा रहा है और मुझे उम्मीद है कक
                       आने िाले िषों में इन प्रयासों के  कारर् हहंदी में भी न्यायालयों के  तनर्तय

                       उपलब्ि हो सक ें गे ।
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