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जॉन के जी हाईथक ू ल में पढा, िह सब तो हहंदी ही िी, ऊदूत तो िी नहीं । और
मेरा कहना है कक साहहत्य को भाषा नहीं बांिती । भाषा तो बहनों की तरह है ।
भाषाएं अलग नहीं है । इसे राजनीतत अलग करती है । नर्रतें अलग करती है
। भाषाएं तो त्रबकक ु ल जुडी हई है आपस में । िजह क्या है कक स्जस तरह से
ु
भगिान ने सबका खून एक नहीं रखा है ए,बी,सी,डी अलग-अलग ग्रुप के हैं उसी
तरह से जबानें भी सबकी हैं लेककन इसमें खून सबका ममलाया जा सकता है ।
उसका पूरा र्ामूतला मौजूद है । जबान का र्ामूतला भी बहत सुंदर है । लेककन
ु
जबान को हम नहीं ममलने देते । हम एक बात ये कहते हैं कक दुतनया की
सबसे अच्छी जबान है जो, िो है हहंदुथतानी । लोग कहते हैं कक मैंने शेक्सपीयर
को पढा, मैंने शैल को पढा, िड्सिित को पढा, लोग दुतनया भर के नाम धगना
देते हैं । हम कहते हैं कक आपने पूरा हहंदुथतान को पढा क्या ? आपने कन्नड
नहीं पढा, आपने तममल नहीं पढा, आपने के रल की जबान नहीं पढी, आपने
उडडया नहीं पढी । आपने बांग्ला नहीं पढी । आपने क ु छ पढा नहीं । आपने
इतने बडे हहंदी के क ु नबे को पढा और आप कह रहे हैं कक यही सब क ु छ है।
आपने एक क ु नबा ऊदूत में झाकां और कहा कक मैं बहत बडा शायर हो गया ।
ु
प्रश्नः- इस समथया का तनदान क्या हो सकता है ?
उत्तरः- महीने में एक कहानी ककसी दूसरे जबान की इसमें आपको डाल देनी
चाहहए बहढया-सी । बांग्ला से, कन्नड से, र्ारसी से, यहां से, िहां से, कहीं से
भी । तो आपको मालूम होगा कक भाषाओं का आपसी तालमेल ककतना बेहतर
होगा । एक बार कोई हहंदी की ककताब रखी िी ककसी कन्नड साहहत्य के ककसी
लेखक की । मैंने देखा िो साहहत्य एके डमी अिाडत प्राप्त पुथतक िी । मैंने
ककताब पढी और जैसे-जैसे कहातनयां पढीं तो ये मालूम हआ कक हम तो
ु
त्रबकक ु ल इतने-इतने पानी में खडे हैं और उसको समंदर बोल रहे हैं । इतने कम
पानी में एक कहानी आती है, उसी के नाम बदलकर, कहानी बदलकर, जगह
बदलकर, हीरो बदलकर, विलेन बदलकर, ड्रेस बदलकर, एक्ट बदलकर, ररएक्ट