Page 57 - rb156-28feb
P. 57

है।  इसससे  हहंदी  को  विश्िथतार  पर  प्रचार-प्रसार  का  व्यापक  अिसर  प्राप्त

                   होगा।  इस  बारे  में  दुतनया  के   बहत  सारे  विश्िविद्यालयों  ने  हहंदी  की
                                                             ु
                   शैक्षखर्क आिश्यकता मान कर सरकार को ज्ञापन भी हदए हैं।

                              सभ्य संसार के  ककसी भी जनसमुदाय की मशक्षा का माध्यम विदेशी

                   भाषा  नहीं  है।  स्जसे  देश  की  जो  भाषा  है,  उसी  भाषा  में  देश  की  मशक्षा,

                   न्याय, कानून, राजकाज, वििानसभाद्ि संसद का काम काज होता है। के िल

                   भारत ही ऐसा देश है जहां आजादी के  70 िषत बाद भी देश अंग्रेजी का बोझ

                   नहीं उतार पाया और सरकारी कायातलयों, न्यायालयों की भाषा न सत्तािारी

                   शासकों की भाषा है और ना ही जनता की।
                              आजादी के  पहले भारत में बहत सारी थिैस्च्छक हहंदी संथिाओं ने
                                                                 ु

                   हहंदी का प्रचार-प्रसार अपने अपने थतर से प्रारंभ ककया। दक्षक्षर् में दक्ष्ा
                   भारत प्रचार िभा की की थिापना महात्मा गांिी ने की स्जसे चलाने के  मलए

                   गांिी  जी  ने  अपने  बेटे  देिदास  गांिी  को  दातयत्ि  सौंपा।  सभा  की  दक्षक्षर्

                   भारत में कई शाखाएं हैदराबाद, बेंगलोर, िारिाड(कनातटतक) आहद थिानों में

                   थिावपत की गईं( महाराष्र, ििात में राष्रभषा प्रचार सममतत ििात की थिापना

                   की गई। 16 जुलाई, 1893 को बनारस में काशी नागरी प्रचारराी िभा की

                   थिापना की गई। स्जसका उद्देश्य हहंदी को उसका िाथतविक थिान बनाया

                   गया जो आजीिन इस संथिा से जुडे रहे। सभा के  दूसरे िषत ‘प्रांतीय बोडत

                   आर्  रेिन्यू’  में  हहंदी  को  थिान  हदलाने  का  आन्दोलन  आरंभ  ककया  गया

                   स्जसके   र्लथिऱूप  अंग्रेजी  सरकार  ने  अपने  20  अगथत,  1996  के   ज्ञापन

                   द्िारा हहंदी को बोडत रेिेन्यू में थिान प्रदान ककया।

                              इस बात से उत्साहहत होकर नागरी प्रचाररर्ी सभा ने उत्तर प्रदेश

                   के   विमभनन  स्जलों  में  60  हजार  हथताक्षर  के   संकमलत  16  प्रततयों  का

                   प्रततिेदन मालिीय जी के  नेतृत्ि में गहठत प्रतततनधि मंडल द्िारा 2 माचत

                   1898 को प्रान्तय गिनतर लेर्हटनेंट एंटनी मैकडोनल को प्रथतुत ककया गया।

                   सभा के  इस कायत में मालिीय जी का महप्िपूर्त योगदान िा। िषत 1897 में
                   उन्होंने  कहठन  पररश्रम  से  ‘कोटत  कै रेक्टर  एंड  प्राइमरी  एजूके शन  इन  नाित


                   िेथट प्राविन्सेज एंड अिि’ नामक ग्रंि अपने खचत से इंडडयन प्रेस, इलाहाबाद
                   द्िारा  प्रकामशत  करिाया।  इस  ग्रंि  को  भी  प्रान्तीय  गिनतर  को  प्रततिेदन

                   सहहत सौंपा। इस पुथतक में यह भी मलखा है कक संसार के  ककसी भी सभ्य
   52   53   54   55   56   57   58   59   60   61   62