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राष्ट्र, राष्ट्रीयता और राष्ट्रभाषा हहंदी

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                       राष्रभाषा को समझने से पहले राष्र, देश और जातत शब्दों को समझना

               असमीचीन  न  होगा  ।  िथतुतः  राष्र  को  अंग्रेजी  शब्द  नेशन  का  हहंदी  पयातय

               माना जाता है, कक ं तु इन दोनों शब्दों में क ु छ अंतर है । अंग्रेजी में नेशन शब्द

               से अमभप्राय ककसी विशेष भूमम-खंड में रहने िाले तनिामसयों से है जबकक राष्र

               शब्द विशेष भूमम-खंड, उसमें रहने िाले तनिासी और उनकी संथक ृ तत का बोि

               कराता है । राजनीततक दृस्ष्ट से और भौगोमलक ऱूप से एक विशेष भूमम-खंड को
               देश की संज्ञा दी जाती है, कक ं तु इसका संबंि मानि समाज से नहीं है । जातत


               से अमभप्राय उस मानि समुदाय से है जो सामास्जक विकास के  िम में पहले
               जन या गर् के  ऱूप में गहठत होती है । यह गर् समाज अिातत जन समुदाय

               आधितक आिार पर जुडकर एक तनस्श्चत जातत का ऱूप िारर् कर लेता है । इस

               जातत का अपिा प्रदेश और अपनी भाषा होतू है । युनान में अनेक गर्-राज्य िे

               स्जनमें सामंती व्यिथिा िाली लघु जाततयां िीं । भारत में भरत, क ु रु, पांचाल

               आहद अनेक गर् समाज िे । बौधॎध काल के  जनपद या महाजनपद लघु जाततयों

               के  ही प्रदेश िे, स्जनमें ब्रज, अिि, बुंदेलखंड आहद लघु जाततयों िाले अनेक

               प्रदेश  बने  स्जनकी  अपनी-अपनी  भाषा  है  ।  इन्हीं  से  हहंदी  भाषी  जातत  का

               तनमातर् हआ है । हहंदी के  साि-साि मराठी, बंगला, तममल आहद भाषाएं बोलने
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               िाली अनेक जाततयां भी अस्थतत्ि में आई हैं । क ु छ विद्िान जातत का अित

               नेशन से भी जोडते हैं ।

                       राष्र शब्द व्यापक अित मलए हए है । इसके  अंतगतत देश और जातत दोनों
                                                         ु
               की संककपना तनहहत है । िैहदक काल से ही राष्र शब्द का प्रयोग भूमम, जन

               और संथक ृ तत के  अंतग्रतधित ऱूप में चला आ रहा है । दूसरे शब्दों में कहें तो

               राष्र शब्द में तीन संदभों का सस्म्मलन होता रहा है- एक, िह भूखंड या भूमम

               स्जसमें मानि समुदाय रहता है, दो, थियं मानि समुदाय और तीन, उस मानि
               समुदाय  की  संथक ृ तत  ।  मनुथमृतत  (10/61,7/73,  9/254)  में  राष्र  को  स्जला,


               मंडल,  प्रदेश  या  राज्य,  देश  या  साम्राज्य  के   साि-साि  प्रजा,  जनता  या
               अधििासी के  अित में पररभावषत ककया गया है । इस प्रकार इसमें भूमम, जन

               और उनकी संथक ृ तत सभी क ु छ समाहहत है । अपनी जन्मभूमम के  प्रतत अनन्य
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