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राष्ट्र, राष्ट्रीयता और राष्ट्रभाषा हहंदी
प्रो. क ृ ष्र् क ु मार गोथिामी
राष्रभाषा को समझने से पहले राष्र, देश और जातत शब्दों को समझना
असमीचीन न होगा । िथतुतः राष्र को अंग्रेजी शब्द नेशन का हहंदी पयातय
माना जाता है, कक ं तु इन दोनों शब्दों में क ु छ अंतर है । अंग्रेजी में नेशन शब्द
से अमभप्राय ककसी विशेष भूमम-खंड में रहने िाले तनिामसयों से है जबकक राष्र
शब्द विशेष भूमम-खंड, उसमें रहने िाले तनिासी और उनकी संथक ृ तत का बोि
कराता है । राजनीततक दृस्ष्ट से और भौगोमलक ऱूप से एक विशेष भूमम-खंड को
देश की संज्ञा दी जाती है, कक ं तु इसका संबंि मानि समाज से नहीं है । जातत
से अमभप्राय उस मानि समुदाय से है जो सामास्जक विकास के िम में पहले
जन या गर् के ऱूप में गहठत होती है । यह गर् समाज अिातत जन समुदाय
आधितक आिार पर जुडकर एक तनस्श्चत जातत का ऱूप िारर् कर लेता है । इस
जातत का अपिा प्रदेश और अपनी भाषा होतू है । युनान में अनेक गर्-राज्य िे
स्जनमें सामंती व्यिथिा िाली लघु जाततयां िीं । भारत में भरत, क ु रु, पांचाल
आहद अनेक गर् समाज िे । बौधॎध काल के जनपद या महाजनपद लघु जाततयों
के ही प्रदेश िे, स्जनमें ब्रज, अिि, बुंदेलखंड आहद लघु जाततयों िाले अनेक
प्रदेश बने स्जनकी अपनी-अपनी भाषा है । इन्हीं से हहंदी भाषी जातत का
तनमातर् हआ है । हहंदी के साि-साि मराठी, बंगला, तममल आहद भाषाएं बोलने
ु
िाली अनेक जाततयां भी अस्थतत्ि में आई हैं । क ु छ विद्िान जातत का अित
नेशन से भी जोडते हैं ।
राष्र शब्द व्यापक अित मलए हए है । इसके अंतगतत देश और जातत दोनों
ु
की संककपना तनहहत है । िैहदक काल से ही राष्र शब्द का प्रयोग भूमम, जन
और संथक ृ तत के अंतग्रतधित ऱूप में चला आ रहा है । दूसरे शब्दों में कहें तो
राष्र शब्द में तीन संदभों का सस्म्मलन होता रहा है- एक, िह भूखंड या भूमम
स्जसमें मानि समुदाय रहता है, दो, थियं मानि समुदाय और तीन, उस मानि
समुदाय की संथक ृ तत । मनुथमृतत (10/61,7/73, 9/254) में राष्र को स्जला,
मंडल, प्रदेश या राज्य, देश या साम्राज्य के साि-साि प्रजा, जनता या
अधििासी के अित में पररभावषत ककया गया है । इस प्रकार इसमें भूमम, जन
और उनकी संथक ृ तत सभी क ु छ समाहहत है । अपनी जन्मभूमम के प्रतत अनन्य