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उपभोक्ता को उसकी अपनी भाषा में बाजार से चुनाि की सुवििा मुहैया कराती
है । व्यिहार क्षेत्र की व्यापकता के कारर् संचार माध्यमों के सहारे हहंदी भाषा
की संप्रेषर् क्षमता का बहमुखी विकास हो रहा है । राष्रीय और विविि
ु
अंतरातष्रीय चैनलों में हहंदी आिुतनक संदभों के व्यक्त करने के अपने सामथ्यत
को विश्ि के समक्ष प्रमाखर्त कर रही है । आज संचार माध्यम की भाषा
बनकर हहंदी ने जनभाषा का ऱूप िारर् करके व्यापक जन थिीक ृ तत प्राप्त की
है । संचार माध्यमों के कारर् हहंदी भाषा का तेजी से सरलीकरर् होने से
िैस्श्िक थतर पर भी उसे थिीक ृ तत प्राप्त हो रही है ।
अंत में कहा जा सकता है कक हहंदी भाषा ने बाजार और कं प्यूटर दोनों
की भाषा के ऱूप में अपना सामथ्यत मसधॎध कर हदया है । भविष्य की विश्िभाषा
की ये ही तो दो कसौहटयां बताई जाती रही हैं । आजकल मुहरत और
इलेक्रॉतनक दोनों ही प्रकार के जनसंचार माध्यम नए विकास के आयामों को छ ू
रहे हैं । हहंदी भाषी भी बािाओं को पार करते हए तनत निीन ऊं चाइयां छ ू रही
ु
है । िैश्िीकरर् के इस युग में भारतीय संथक ृ तत विश्ि पर हािी हो रही है ।
आज के मानमसक तनाि को देखते हए विश्ि की बडी कं पतनयां अपने
ु
कमतचाररयों के मलए योग एिं ध्यान के प्रमशक्षर् के उपाय कर रही हैं । हमारे
योग गुऱू बाबा रामदेि जी और अन्य गुऱू आज देश विदेश में जाकर भारतीय
संथक ृ तत का प्रचार ि प्रसार कर रहे हैं । विदेशी समुदाय इससे लाभास्न्ित हो
रहा है । सूचना, समाचार और संिाद प्रेषर् के मलए हहंदी को विककप के ऱूप में
अपनाकर समृधॎध ककया है । िैश्िीकरर् के कारर् जहां पूरा विश्ि एक गांि में
तब्दील हो चुका है । िैस्श्िक बाजार संथक ृ तत के मलए हहंदी सबसे अनुक ू ल भाषा
के ऱूप में अपनाई जा रही है । इससे जहां एक ओर हहंदी का विकास ि
विथतार हो रहा है िहीं दूसरी ओर संपूर्त राष्र में भावषक संपन्नता का पररचय
पाकर हहंदी की थिीक ृ तत का भी क्षेत्र विथतृत होता जा रहा है । हहंदी भाषा
वििे ता और िे ता के बीच सेतु का कायत कर रही है । आज कं प्यूटर, मोबाइल,
र्े सबुक, ट्िीटर, ब्लॉक, िाट्सएप इत्याहद पर हहंदी के प्रयोग ने दुतनया को
सचमुच मनुष्य की मुठॎठी में कर हदया है । िह हदन दूर नहीं जब हर जगह हहंदी
भाषा का बोलबाला नजर आएगा । भारत की सहदयों पुरानी उस्क्त िसुिैि
क ु टुम्बकम ् एक बार कर्र से चररताित होती जा रही है ।