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ककतना अद्भत संयोग है कक अतीत में र्ारस और अरब से आये
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लोगों की भाषा में ‘‘स’’ के थिान पर ‘‘ह’’ का उच्चारर् िा। इस मलए मसंिु का
ऱूप हहंदु हो गया तिा हहंद शब्द पूरे भारत के मलए प्रयुक्त होने लगा और यहााँ
प्रयुक्त होने िाली भाषा के मलए हहंद की हहंदुथतानी भाषा शब्द का प्रयोग
ककया। तत्पश्चात् अंग्रेजों ने इस पर शोिकायत ककये और इसे विश्ि पटल पर
पहाँचाया। िततमान में विदेशो में बसे देशी विदेशी हहन्दी प्रेममयों ने अपनी सतत्
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सािना के बल पर हहन्दी को विश्ि पटल पर गररमापूर्त थिान पर पहाँचाया।
ु
यह सितविहदत सच है कक हमेशा ही विजेता विस्जतों पर अपने
विजय धचन्ह छोडते है पर सत्य यह भी है कक जानदार कौमें विदेशी आिांताओं
से अपने देश को मुक्त करिाने के एकदम बाद विदेमशयों द्िारा छोडे गए
तनशान ममटा कर थिदेशी गौरि से अमभभूत होकर शासन करती है। चाहे भाषा
के संदभत में ही क्यां ना हो।
महवषत दयानंद और महात्मा गांिी की िरा की उपज िततमान
प्रिानमंत्री श्री नरेन्र मोदी ने इसे व्यािहाररक कर हदखाया। उन्होंने हहन्दी को
लेकर हमारे मन में पैदा होने िाली खझझक और हहन्दी बोलने से जुडी
तिाकधित राष्रीय शमत को एक झटके में दूर कर हदया। िह विदेश में दूसरे
राष्र प्रमुखों के साि होने िाली शीषत िात्तातओं में हहन्दी का प्रयोग करते है तो
तनश्चय इससे राष्रीय अस्थमता और संप्रभुता प्रदमशतत होती है।
हहन्दी एक मात्र सािन है जो बहभाषी भारत के अलगाि और
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विघटन को समाप्त कर आंतररक एकता को मजबूती प्रदान करती है। इसके
बढते संसार का अित है पूरे विश्ि के समक्ष, मजबूत, समृधॎध, सम्पन्न विकमसत
राष्र के ऱूप में भारत का थिावपत होना,
‘‘ज्यों ज्यो यहााँ पर एक भाषा िृवधॎध पाती जायगी
त्यों त्यों अलौककक एकता सब में समाती जायगी
कट जायगी जड मभन्नता की विज्ञता बढ जायगी
श्री भारती जन जातत उन्नतत-मशखर पर चढ जायगी’’12