Page 93 - rb156-28feb
P. 93
कक दोनो देशों के बीच व्यापाररक और आपसी ररश्तों को मजबूती प्रदान करने
और व्यापार जगत् में संचार के मलए हहन्दी की अहम ् भूममका है।’’6
‘‘इजरायल में हहन्दी को बढािा देने की हदशा में भारतीय
व्यापाररयों ने कदम बढाया है। उन्होंने हहन्दी सीख रहे छात्रों के मलए 35 हजार
डालर (करीब 20 लाख रुपये) के अनुदान की घोषर्ा की है। इसकी घोषर्ा तेल
अिीि यूतनिमसतटी में आयोस्जत विश्ि हहन्दी हदिस समारोह के दौरान की गई।
इस अनुदान से यूनीिमसतटी में हहन्दी भाषा सीख रहे छात्रों को आगामी पााँच
सालों के दौरान मदद ममलेगी। िे भारत जाकर हहन्दी भाषा को बेहतर तरीके से
सीख सक ें गे। इसके मलए छात्रों का चयन लोकवप्रय टेलीविजन शो ‘‘कौन बनेगा
करोडपतत’’ की तजत पर ‘‘कौन भारत जाएगा’’ के माध्यम से ककया जाएगा।’’7
इतनी ही नहीं भारत के प्रिानमंत्री नरेन्र मोदी जब इजरायल दौरे पर गये तो
िहााँ के राष्र अध्यक्ष श्री नेतन्याह ने अपने थिागतीय भाषर् में हहन्दी के
ू
िाक्य बोलकर उनका थिागत ककया, ‘‘आपका थिागत है मेरे दोथत’’।
भारत के पडोसी देश पाककथतान भी इस तथ्य से भली भांतत
पररधचत है कक अगर भारत को जानना पहचानना है तो हहन्दी का ज्ञान होना
आिश्यक है, ‘‘हहन्दी में सटीकर्के ट, डडपलोमा, माथटरस और पी.एच.डी.डडग्री
प्रदान कराने िाली पाककथतान की यह पहली यूतनिमसतटी िी। डण्न्ण्डण्थर्् के
बाद लाहौर स्थित पंजाब यूतनिमसतटी ने भी 1983 ई. में हहन्दी भाषा में अलग
अलग कोसत शुऱू ककये। यूतनिमसतटी ऑर् पंजाब और डण्न्ण्डण्थर्् दोनो हहन्दी
विभागों का भारत के साि गहरा संबंि है। िहााँ पढाने िाली ज्यादातर महहलाएाँ
शादी के बाद ही पाककथतान में गई। इन महहलाओं ने पटना विश्िविद्यालय,
चौिरी चरर् मसंह विश्िविद्यालय और पंजाब विश्िविद्यालय चण्डीगढ जैसी
अलग अलग भारतीय विश्िविद्यालयों में मशक्षा हामसल की। क ु छ पाककथतानी
तो हहन्दी का ज्ञान हहन्दी मीडडया को र्ालो करके लेते है।’’8
मारीशस में हहन्दी प्रचार का इततहास 1834 ई. में श्रममक ऱूप में
गये भारतीयों के साि होता है। यहााँ दो दो बार विश्ि हहन्दी सम्मेलन के
आयोजन हो चुके है। पहली बार 1976 ई. में स्जसकी अध्यक्षता िहााँ के
प्रिानमंत्री मशिसागर रामगुलाम ने की िी। दूसरी बार 1995 ई. में। इस समय