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बात को भी जबरन लादा गया कक अंग्रेजी में ही उनका उज्ज्िल भविष्य
सुतनस्श्चत है । सामास्जक और राजनैततक विकास में भी अंग्रेजी की िचतथिता
को मान मलया गया और हहंदी को वपछडेपन की भाषा कह कर उसके सामास्जक
और राष्रीय महत्ि को नकारा गया । रोजगार के संसािनों पर अंग्रेजी की
शस्क्त हािी हो गई है । इसके चलते हहंदी भाषी आज अपनी हीनभािना से
ग्रथत हैं । इंटरनेट और मोबाइल के इस युग में अंग्रेजी का प्रयोग बढा है ।
यद्यवप इंटरनेट के मलए हहंदी के सभी संसािन उपलब्ि हैं। लेककन हीन
मानमसकता, राष्रीय कततव्यों के प्रतत अऱूधच के कारर् और अपने को उच्चिगत
की भाषा अंग्रेजी से जोडने की मानमसकता ने भारतीय समाज के मस्थतष्क को
हदिामलया बना हदया है । इससे उनके संथकार में ममलािट आ रही है, उनके
रहन-सहन में हदखािटीपन है । उनकी सामास्जकता थिच्छन्दिाहदता से ग्रथत है
। राष्रीय पररप्रेक्ष्य में यह शुभकर नहीं और न ही हहंदी के बढते िचतथि के प्रतत
उनके नागररक कततव्यों तिा उनकी आथिा का कोई अिदान है । अंग्रेस्जयत
मानमसकता के इस दौर में आज की पीढी में राष्र की मुख्य िारा से जुडने की
की खास हदलचथपी नहीं है । िे अंग्रेजी द्िारा रोजगार प्राप्त करने के मलए
अपने भीतर के राष्रिादी तत्िों को नष्ट कर रहे हैं । यह राष्र के मलए धचन्ता
का विषय है । ककन्तु तनराशाजनक स्थितत से आगे बढकर आज 20-25
भारतीय प्रमशक्षक्षत उपभोक्ता हहंदी में इंटरनेट सकर्िं ग चाहने लगे हैं । इसके
अततररक्त वपछले क ु छ िषों में इंटरनेट पर हहंदी में सॉफ्टिेयर की उपलब्िता
95 प्रततशत हो गई है । जबकक हहंदी की विषयिथतु की उपलब्िता मसर्त 20
प्रततशत ही है । इस संबंि में यह भी विचारर्ीय है कक लगभग 12 हजार
ब्लागर जहां अत्यधिक सकिय है,उसके अनुपात में 20 से 25 हजार ब्लागर
के िलमात्र सकिय की श्रेर्ी में है । 2005 के बाद इंटरनेट पर हहंदी के विथतार
में क ें र और राज्यों की सरकारों का कार्ी बडा योगदान रहा है । 2015 के
उपलब्ि आंकडों के अनुसार क ें र तिा राज्य की सरकार के विमभन्न विभागों की
हहंदी में लगभग 9 हजार बेिसाइटें उपलब्ि है । इसके र्लथिऱूप 70-ई-पत्रत्रकाएं
देिनागरी मलवप में उपलब्ि हैं । महात्मा गांिी अंतरातष्रीय हहंदी विश्िविद्यालय, ििात की
बेिसाइट डब्कयूडब्कयूडब्कयू डॉट हहंदी समय डॉट कॉम पर अब तक हहंदी के एक
हजार से अधिक रचनाकारों की रचनाओं का अध्ययन ककया जा सकता है । इसके
अततररक्त कई ई-बुक हहंदी प्रकाशक भी सकिय हैं । इस समय हहंदी के अपने सचत
इंजनों की संख्या 20 के लगभग हो गई है स्जसके द्िारा हहंदी के तमाम सारे शब्दों