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आम बोलचाल और साहहत्य की भाषा के ऱूप में हहंदी का उद्भि और
विकास भले ही सैंकडों िषों पूित हो चुका हो पर हहंदी को अनेक आंदोलनों,
सम्मेलनों और बहस-मुबाहहसों के पररर्ामथिऱूप आजादी के भी दो साल बाद
14 मसतंबर 1949 को राजभाषा का सम्मान ममला। आजादी से पूित देश में
अंग्रेजी और इससे पूित मुगल शासन का लंबे समय तक साम्राज्य रहा। इस
दृस्ष्ट से शासक िगत के प्रभाि से भारत में संथक ृ त के बाद अरबी-र्ारसी और
अंग्रेजी भाषा का प्रभुत्ि रहा। 1192 ई. में हदकली के शासक पृथ्िीराज को
हराकर मुहम्मद गौरी ने उत्तर भारत में मुस्थलम प्रभुत्ि थिावपत ककया। उक्त
कालािधि में प्रिम बार मुगल प्रशासन की भाषा र्ारसी बनाई गई। हालांकक
अकबर के शासनकाल में हहंदू और मुस्थलम दोनों संथक ृ ततयों को तरजीह ममली
पर शासन की भाषा और कामकाज के मलए र्ारसी को ही बढािा ममला। मुगलों
के बाद देश की बागडोर अंग्रेजों के हाि में आने के बाद सन 1800 ई. में देश
के प्रिम कालेज के ऱूप में कलकत्ता में लाडत िैलेजली ने ‘र्ोटत विमलयम’
कालेज की नींि रखी। कालेज के हहंदुथतानी विभाग के प्रमुख डॉ. धगलिाइथत ने
पहली बार मजहब के आिार पर भाषा का विभाजन ककया। इसके बाद अंग्रेजों
की अंग्रेजी भाषा को बढािा देने की नीतत के र्लथिऱूप लाडत मैकाले के प्रथताि
पर लाडत विमलयम बैंहटक ने 1837 में र्ारसी के थिान पर अंग्रेजी सरकारी
भाषा के ऱूप में थिीक ृ त ककया।
संथक ृ त महज विद्िानों, प्रकांड पंडडतों, ऋवषयों और आचायों की ही भाषा
होने के कारर् उसका प्रसार क्षेत्र सीममत िा। संथक ृ त के बाद प्राक ृ त, अपभ्रंश
में ंंसाहहत्य सृजन होने के बािजूद राजकाज और शासन व्यिथिा में हहंदी
भाषा के इस ऱूप का चलन नहीं हो पाया। आम लोगों को शासक िगत के प्रभाि
और दरबार और दफ्तरी भाषा होने के कारर् अरबी र्ारसी और तत्पश्चात
अंग्रेजी का ही चलन रहा। इसके प्रयोग के कारर् ही कार्ी हदनों तक
‘हहंदुथतानी’ यानी उदूत और हहंदी के ममधश्रत ऱूप को ही राजभाषा के ऱूप में
थिीकार ककए जाने की िकालत होती रही।
भारत में राष्रिाद की अििारर्ा मध्यकाल से मानी जाती है। पस्श्चमी
विद्िान भारत में राष्रिाद का उदय अंग्रेजी शासन से मानते हैं लेककन यह
उधचत नहीं है। भारत में राष्रिाद की अििारर् उतनी ही प्राचीन है स्जतना
भारत का इततहास। यह देश का दुभातग्य रहा कक लंबे समय तक िह एक सत्ता